राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं भोपाल, उन्मेष-उत्कर्ष महोत्सव का किया उद्घाटन
रवीन्द्र भवन में आज से शुरू हो रहे 'उन्मेष' उत्सव में 575 से अधिक लेखक 75 से अधिक सत्रों में भाग ले रहे हैं। इसमें तीन राज्यों के राज्यपाल और 13 विदेशी भाषाओं के लेखक भी होंगे।
भोपाल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज भोपाल दौरे पर हैं. वह सुबह 11.30 बजे विशेष विमान से यहां पहुंचीं. स्टेट हैंगर पर सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उनका आत्मीय स्वागत किया। यहां से राष्ट्रपति का काफिला रवीन्द्र भवन के लिए रवाना हुआ। रवीन्द्र भवन में उन्होंने एशिया के सबसे बड़े साहित्यिक उत्सव उन्मेष और लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के कला उत्सव उत्कर्ष का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति इस कार्यक्रम में करीब दो घंटे तक रहेंगे. इस से पहले राष्ट्रपति इसी साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर भोपाल आई थीं।
महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी द्वारा रवींद्र भवन, भोपाल में भारत की लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव "उत्कर्ष" और "उन्मेष" का शुभारंभhttps://t.co/1AFOzK151o
— Jansampark MP (@JansamparkMP) August 3, 2023
75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक गौरतलब है कि 03 से 05 अगस्त तक चलने वाले ‘उन्मेष’ महोत्सव में 75 से अधिक सत्रों में 575 से अधिक लेखक भाग लेंगे. इसमें तीन राज्यों के राज्यपाल और 13 विदेशी भाषाओं के लेखक भी होंगे। डॉक्टरों का साहित्य, सागर साहित्य जैसे नए विषयों पर चर्चा होगी। इसके अंतर्गत बहुभाषी काव्य पाठ, लेखन पाठ, आदिवासी कवि सम्मेलन, साहित्य के विषयों पर चर्चा, आजादी के अमृत महोत्सव पर काव्य पाठ एवं साहित्य के उत्थान से संबंधित विभिन्न विषयों पर प्रबुद्धजनों द्वारा चर्चा की जाएगी।जाएगा। इसके साथ ही “पुस्तक मेला” में साहित्य अकादमी और अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। उत्सव के दौरान साहित्य अकादमी द्वारा प्रख्यात लेखकों पर बनी डाक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएंगी
उत्कर्ष उत्सव में शाम को होंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत शाम 5 बजे से हंसध्वनि ऑडिटोरियम में भारत के लोक नृत्य और आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किये जायेंगे. महोत्सव के पहले दिन गुरुवार को शाम पांच बजे से विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत किये जायेंगे. लेह और लद्दाख का जाबरो नृत्य, नागालैंड का सुमी युद्ध नृत्य, गोवा का समय नृत्य, सिक्किम का सिंधी छम, राई, मध्य प्रदेश का बरेदी नृत्य, मेघालय का बांग्ला नृत्य, महाराष्ट्र का लावणी नृत्य, असम, ओडिशा का बिहू नृत्यका सिंगारी नृत्य, झारखंड का पाइका नृत्य और आंध्र प्रदेश के टप्पेटा गुल्लू नृत्य की प्रस्तुति होगी।
महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश का अजी लामू नृत्य, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, राजस्थान का कालबेलिया नृत्य, असम का तिवा, हरियाणा का फाग, उत्तर प्रदेश का मयूर रास, झारखंड का झुमुर नृत्य प्रस्तुत किया गया। , मणिपुर का ढोल चोलम और थांग ता नृत्य, तमिलनाडु का करगट्टम, पश्चिम बंगाल का नाटुवा नृत्य, कर्नाटक का पूजा कुनिथा और गुजरात का मनियारो रास नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा।
तीसरे नंबर पर कश्मीर का रऊफ नृत्य, सिक्किम का सोरथी, बिहार का झिझिया, त्रिपुरा का होजागिरी, छत्तीसगढ़ का गौड मारिया, केरल का पुलकली, उत्तराखंड का छपेली, ओडिशा का गोटीपुआ, पंजाब का भांगड़ा, बंगाल का पुरुलिया छाऊ, तीसरे नंबर पर तेलंगाना का ओग्गू अंतिम दिन डोलू और मध्य प्रदेश का गुदुम बाजा नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा